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हर दिए का दिन आता है

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गर तुम भी हो एक छोटे से दीये मेरी तरह, तो सुनलो ज़रा मेरी अदद आत्मकथा कानफोड़ू बम ने मुझे बुझाया है हर साल, चीनी लड़ियों ने किया मेरा बुरा हाल. फिर भी जलता रहा एक कोने में तुलसी के पास मेरा भी दिन आएगा कभी,  बस थी एक छोटी सी आस. आखिर वो दिन आ ही गया, मैं हूँ | देखो, मैं हूँ | मेरा अस्तित्व |  मेरा धैर्य | हर साल जलता रहा. आज खड़ा हूँ मैं,  सीना तान कर. क्योंकि एक मामुली को खास बनाने में बस इतना सा धैर्य ही तो चाहिए ...